जिन लोगों की पहली तारीख को तन्ख्वाह मिलती है उनके लिए पहली तारीख किसी जन्मदिन के दिन जैसी खुशी लेकर आता है... पहली तारीख कि उल्टी गिनती बीस तारीख से ही शुरू हो जाती है और पच्चीस तारीख आते आते नौकरीपेशा ये सोच कर तसल्ली करते हैं कि बस पांच दिन ही तो बचे हैं...और यदि पहली तारीख को छुट्टी या फिर संडे पड़ जाए तो फिर समझिए कि काटो तो खून नहीं...(हालांकि मुझे तो पांच तारीख का बेसब्री से इंतजार रहता क्योंकि हमारी तन्ख्वाह तो पांच तारीख को ही मिलती है)
आज सवेरे नाश्ता करते वक्त टीवी देख रहा था तभी टीवी पर एक ऐड आया कि खुश है जमाना आज पहली तारीख है...ऐड केडबरी डेयरी मिल्क चाकलेट का है जिसमें गाने के साथ एक मध्यम वर्गीय युवक जिसकी पहली तारीख को पगार मिलती है बहुत खुश होकर गाना गाता है...वीबी को आज सिनेमा दिखाना आज पहली तारीख है...
सच में तन्ख्वाह मिलने का इंतजार किस कदर होता है और खास तौर पे मध्यम वर्ग के लिए तो पूछिए ही मत...घर का पूरा बजट पहली तारीख पर ही निर्भर करता है। बच्चे की फीस भरनी हो या फिर घर का राशन लाना हो या फिर बीवी की फर्माईस पुरी करनी हो सब कुछ पहली तारीख के बाद ही हो पाता है। पहली तारीख को तो कमाऊ आदमी का जोश इस कदर होता है कि पूछिये ही मत। घर आने से पहले रास्ते में मिठाई की दुकान से बच्चों के लिए मिठाई लाना नहीं भूलेगा। ऑफिस से ही फोन पर बीवी से बात तय हो जाती है कि आज होटल में खाना खाया जाएगा या फिर बढ़िया मलाई पनीर बनेगा और मस्त खीर बना ली जाए। बीवी की फर्माइश सिनेमा देखने की भी हो तो पांच बजे ऑफिस से लौटते वक्त पति महोदय को टिकट भी लेकर आना पड़ता है...
घर आने के बाद बच्चे की जिद भी पूरी करनी हैं...काफी दिनों से बच्चा साइकिल की जिद कर रहा था तो इस बार साइकिल भी खरीद कर देनी है...यदि किराए के मकान में रहते हैं तो मकान मालिक को किराया भी देना है। कुल मिलाकर पहली तारीख को ही इतने खर्चे हो जाते हैं कि बेचारा मध्यमवर्गीय इंसान अगली पहली तारीख का इंतजार अगले दिन से ही करना शुरु कर देता है। मतलब की पहली तारीख को खुश है जमाना कि पहली तारीख है...मगर पहली तारीख की खुशी पगार पाने वाले को तो सिर्फ पहली तारीख तक ही रहती है...अगले दिन से फिर पहली तारीख का इंतजार...
तो आगे की पंक्तियां गुनगुनाएं और पहली तारीख का इंतजार करें...
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है - 2
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
बीवी बोली घर ज़रा जल्दी से आना,
जल्दी से आनाशाम को पियाजी हमें सिनेमा दिखाना, हमें सिनेमा दिखाना
करो ना बहाना हाँ बहाना बहानाकरो ना बहाना आज पहली तारीख हैखुश है ज़माना आज पहली तारीख है
मिलजुल के बच्चों ने बापू को घेरा,
बापू को घेराकहते हैं सारे की बापू है मेरा, बापू है मेराखिलौने ज़रा लाना,
खिलौने ज़ला लाना आज पहली तारीख हैखुश है ज़माना ... आज पहली तारीख है...
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are bhai par meri to 7 ko milti hai.,but aapne sahi likha hai bilkul/.,,/.,i hats off 2 u.,gr8
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है आपने लगता है कि पत्रकारिता की असली लेखनी तो आपके ही पास हैं वाकई दिल को छू गया है करोड़ो लोगो की अपार भावना को आपने चंद शबदों मे समेटकर आपने लेखन क भी बखूबी परिचय दिया
जवाब देंहटाएंLikhte rahiye.
जवाब देंहटाएंआपकी पहली तारीख का दर्द बाकईजायज है...
जवाब देंहटाएंkeep it up